गुरू रविदास जयंती | Happy Guru Ravidas Jayanti Wishes

गुरु रविदास जी जयंती सिखों के गुरु ‘श्री गुरु रविदास’ के जन्मदिन का उत्सव होता है। गुरु रविदास जी (1377-1527 C.E.) भक्ति आंदोलन के एक प्रसिद्ध संत थे। उनके द्वारा गाये गए भक्ति गीतों और छंदों ने भक्ति आंदोलन पर स्थायी प्रभाव डाला। उन्हें रैदास, रोहिदास और रूहिदास के नाम से भी जाना जाता है। अतः इस पावन मौके पर हम आपके लिए लेकर आये है सुन्दर शुभकामना सन्देश और हिंदी शायरी, जिन्हे आप अपने चाहने वाले दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ शेयर कर सकते है।

व्यक्ति पद या जन्म से बड़ा या छोटा नहीं होता है, वह गुणों या कर्मों से बड़ा या छोटा होता है.


गुरु रविदास जयंती आपके जीवन में ज्ञान, शांति और समृद्धि लाए। आप सभी को गुरु रविदास जयंती की शुभकामनाएं।


भला किसी का नहीं कर सकते, तो बुरा किसी न मत करना, फूल जो नहीं बन सकते, तुम कांटे बनकर मत रहना, हैप्पी गुरु रविदास जयंती।


कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं बल्कि अपने कर्म के कारण होता है। व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं।


वे समाज में वर्ण व्यवस्था के विरोधी थे. उन्होंने कहा है कि सभी प्रभु की संतान हैं, किसी की कोई जात नहीं है.


मन चंगा तोह कठौती में गंगा। संत परंपरा के महान योगी और परम ज्ञानी संत श्री रविदास जी को कोटि कोटि नमन। हैप्पी गुरु रविदास जयंती।


भगवान उस ह्रदय में निवास करते हैं जिसके मन में किसी के प्रति भेदभाव नहीं है, कोई लालच या द्वेष नहीं है


गुरु के उपदेश कभी निष्फल नहीं जाते। उसका वचन कभी गलत नहीं होता। वह प्रकाश का सच्चा स्रोत है। हैप्पी गुरु रविदास जयंती।


अगर एक आर्य अकेला है तो उसे स्वयं अध्ययन करना चाहिए, अगर दो हो तो उन्हें परस्पर प्रश्नोत्तर करना चाहिए, और अगर एक से ज्यादा हो तो उन्हें सत्संग करना चाहिए और वेदो के अध्याय पढ़ने चाहिए। हैप्पी गुरु रविदास जी जयंती।


करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास


जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात। रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।। गुरु रविदास जयंती की हार्दिक बधाइयाँ। हैप्पी गुरु रविदास जयंती।


हिंदू तुरक नहीं कछु भेदा सभी मह एक रक्त और मासा। दोऊ एकऊ दूजा नाहीं, पेख्यो सोइ रैदासा।। गुरु रविदास जयंती की हार्दिक बधाइयाँ। हैप्पी गुरु रविदास जी जयंती।


प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी, तो ही मोहि मोहि तोहि अंतर कैसा, तुझाइ सुझंता कछू नाहै, चल मन हर चत्सल पढ़ाऊँ। हैप्पी गुरु रविदास जयंती।


यदि आप अच्छा नहीं कर सकते, तो कम से कम दूसरों को नुकसान न पहुँचाएँ। यदि आप एक फूल की तरह नहीं रह सकते हैं, तो कम से कम कांटे की तरह न रहें। हैप्पी गुरु रविदास जयंती।


कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न लेने दें। एक छोटी सी चींटी शक्कर के दानों को उठा सकती है परंतु एक हाथी इतना विशालकाय और ताकतवर होने के बाद भी ऐसा नहीं कर सकता।


हर दिन एक नई शुरुआत है, सूर्योदय और सूर्यास्त है। जीवन चलता रहता है। हमारे आसपास के लोग भी गायब हो जाते हैं। मौत से कोई नहीं बच सकता। गुरु रविदास जयंती की हार्दिक बधाइयाँ।


पानी और उसकी तरंगों में कोई अंतर नहीं है। उसी तरह, आप, मैं और भगवान में कोई अंतर नहीं है। हैप्पी गुरु रविदास जयंती।


प्रभु के आनन्द का गीत गाओ, प्रभु के नाम की सेवा करो, उनके सेवकों के सेवक बनो। रविदास जयंती की शुभकामनाएँ!


हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस। ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास।। गुरु रविदास जयंती की हार्दिक बधाइयाँ। हैप्पी गुरु रविदास जयंती।


कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै। तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै। गुरु रविदास जयंती की हार्दिक बधाइयाँ। हैप्पी गुरु रविदास जयंती।


ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन। पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।।


कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा। वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा।। गुरु रविदास जयंती की हार्दिक बधाइयाँ। हैप्पी गुरु रविदास जयंती।


संत परंपरा के महान योगी और परम ज्ञानी संत श्री रविदास जी को कोटि कोटि नमन। हैप्पी गुरु रविदास जयंती।


गुरु जी मैं तेरी पतंग, हवा विच उड़दी जावांगी, गुरु जी ड़ोर हाथो न छड़ी, मैं कट्टी जावांगी, गुरु रविदास जयंती की हार्दिक बधाइयाँ। हैप्पी गुरु रविदास जी जयंती।


आपको और आपके परिवार को गुरु रविदास जयंती की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। गुरुजी आपके पूरे परिवार पर अपनी कृपा बरसाएं।गुरु रविदास जयंती की हार्दिक बधाइयाँ।”


मोह-माया में फंसा जीव भटकता रहता है। इस माया को बनाने वाला ही मुक्ती दाता है। आप सभी को गुरु रविदास जयंती की शुभकामनाएं।


मन चंगा तो कठौती में गंगा का मथुरा का द्वारका, का काशी हरिद्वार। रैदास खोजा दिल आपना, तउ मिलिया दिलदार।।


हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए और साथ साथ मिलने वाले फल की भी आशा नहीं छोड़नी चाहिए, क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य।

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