This is the most auspicious day for Jains and is observed by the Jain community across the world in the memory of the last spiritual teacher of Jainism (Mahavir). This year it is celebrated on April 14. On this day, a parade of the idol of Lord Mahavira is carried out, which is known as
जय माता की दोस्तों, नवरात्रि मुबारक हो। अब नवरात्रि की शुभकामनाएं दे हिंदी शायरी के साथ अपने दोस्तों एवम रिश्तेदारो को। इन शायरी से आप अपने चहेतों में खुशियाँ बाटें। नवरात्रि की यह शायरी दिल को छूने वाली हैं आप इन शायरी को अपने फ्रेंड्स और परिवार के सदस्यों में आसानी से शेयर कर सकते
कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर देशभर में बड़ी धूमधाम से बनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में हुआ। कृष्ण जनमाष्टमी ना केवल भारत में मनाई जाती है, बल्कि पूरे विश्व में फैले हिंदू संप्रदाय के
गणेश चतुर्थी भगवान श्री गणेश के जन्मदिन के अवसर पर देशभर में बड़ी धूमधाम से बनाया जाता है। भगवान श्री गणेश का जन्मदिन हर साल अगस्त या सितंबर के महीने में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी ना केवल भारत में मनाई जाती है, बल्कि पूरे विश्व में फैले हिंदू संप्रदाय
गुरु रविदास जी जयंती सिखों के गुरु ‘श्री गुरु रविदास’ के जन्मदिन का उत्सव होता है। गुरु रविदास जी (1377-1527 C.E.) भक्ति आंदोलन के एक प्रसिद्ध संत थे। उनके द्वारा गाये गए भक्ति गीतों और छंदों ने भक्ति आंदोलन पर स्थायी प्रभाव डाला। उन्हें रैदास, रोहिदास और रूहिदास के नाम से भी जाना जाता है।
भगवद्गीता भगवान का गीत भी कहा जाता है हिंदुओं की महान संस्कृत कविता, महाभारत में दर्ज एक प्रकरण। यह महाभारत की पुस्तक VI के अध्याय 23 से 40 में व्याप्त है और राजकुमार अर्जुन और कृष्ण, भगवान विष्णु के एक अवतार के बीच एक संवाद के रूप में रचित है। शायद पहली या दूसरी शताब्दी
गुरु हरगोविन्द सिंह के पांचवें पुत्र, गुरु तेग बहादुर का जन्म अमृतसर (पंजाब) में हुआ था. सिखों के आठवें गुरु ‘हरिकृष्ण राय’ जी की अकाल मृत्यु हो जाने के कारण जनमत द्वारा गुरु तेगबहादुर को गुरु बनाया गया था. गुरुतेग बहादुर के बचपन का नाम त्यागमल था. 14 वर्ष की छोटी सी आयु में अपने
परशुराम जयंती भगवान विष्णु के छठे अवतार की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह वैशाख मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि परशुराम का जन्म प्रदोष काल के दौरान हुआ था और इसलिए जिस दिन प्रदोष काल के दौरान तृतीया होती है उस दिन को परशुराम जयंती