क्रोध पर महापुरुषों के विचार | Hindi Best Quotes On Anger
क्रोध किसी व्यक्ति की एक शारीरिक प्रतिक्रिया है। जब कोई कार्य अथवा स्तिथी किसी व्यक्ति के अनुकूल न हो तो यह भावना अपने आप उपज जाती है। हालाँकि इसका परिणाम हमेशा नुकशानदायक होता है। गुस्से/क्रोध से शरीर को भी नुक़सान होता है। परन्तु फिर भी यह भावना लोगों में अक्सर देखने को मिलती है। क्रोध से अभी तक कोई कार्य सही सिद्ध नहीं हुआ है। हम में से बहुत कम लोग ही ऐसे होते है जो यह मानने को तैयार होते है कि उनका स्वभाव गुस्से वाला है। इसलिए अगर लगता है कि आपको क्रोध/गुस्सा आता है तो इसमे आपको खुद ही पहल करनी पड़ेगी। इस बार हम लेकर आये है बहुत ही अच्छे अनमोल विचार जो आपको क्रोध/गुस्से पर काबू करने तथा उसके द्वारा होने वाली हानि के बारे में बताएँगे। जिन्हे आप अपने गुस्सैल दोस्तों, परिवार के सदस्यों को फेसबुक, व्हाट्सप्प, गूगल+,ट्वीटर पर शेयर कर सकते है।
क्रोध से मुर्खता उत्पन्न होती है, मुर्खता से स्मृति भ्रष्ट हो जाती है, स्मृति भ्रष्ट हो जाने से बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि नष्ट होने पर मनुष्य प्राणी स्वयं नष्ट हो जाता है। -:भगवान कृष्ण
क्रोध करने का मतलब है, दूसरों की गलतियों कि सजा स्वयं को देना, जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर विचार करो। -:कन्फ्यूशियस
जो व्यक्ति जोर जोर से अपने क्रोध का बखान करता हैं वास्तव में वह अज्ञानी हैं जो शांत रहकर अपने क्रोध को वश में करता हैं वही बुद्धिमान कहलाता हैं।
किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं, और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं। -:गौतम बुद्ध
जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में नहीं कह सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है। -:रवीन्द्रनाथ ठाकुर
क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के सामान है; इसमें आप ही जलते हैं। -:गौतम बुद्ध
जिनमे बदले की भावना प्रबल होती हैं वो व्यक्ति अपने क्रोध पर अंकुश नहीं लगाते अपितु उसमे जलकर अपने जीवन को कठिन बनाते हैं।
मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है। -:बाइबिल
तुम अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओगे, तुम अपने क्रोध द्वारा दंड पाओगे। -:गौतम बुद्ध
कोई भी क्रोधित हो सकता है- यह आसान है, लेकिन सही व्यक्ति से सही सीमा में सही समय पर और सही उद्देश्य के साथ सही तरीके से क्रोधित होना सभी के बस कि बात नहीं है और यह आसान नहीं है। -:अरस्तु
अगर आप सही हैं तो आपको गुस्सा होने का कोई हक़ नहीं और यदि अगर आप गलत हैं तो आपको किसी पर भी क्रोधित होने का कोई हक़ नहीं बनता।
इन्सान गुस्से में अपना नियंत्रण खो देता हैं और अक्सर वह कर बैठता हैं, जो वो नहीं करना चाहता हैं।
जिन्हें शब्दों में बात कहना नहीं आता अर्थात अपना दृष्टीकोण समझाना नहीं आता वास्तव में उन्हें ही अधिक क्रोध आता हैं।
मूर्ख इन्सान गुस्से को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान मनुष्य शांति से उसे वश में करता है।
क्रोध मनुष्य को शक्तिविहीन कर देता हैं एक मनुष्य दिन घर के कर्मो में नहीं थकता जितना वो कुछ पलो के क्रोध में थक जाता हैं।
क्रोध करने की आदत व्यक्ति की वह कमजोर कड़ी होती है, जो अक्सर बने बनाए काम को बिगाड़ देती है।