चाणक्य के प्रेरणादायक अमर वाक्य- Chanakya Neeti
आचार्य चाणक्य एक महान विद्वत्ता, बुद्धिमान और क्षमता के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदलने वाले कहलाये। चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी विश्वविख्यात हुए। चाणक्य ने अपने गहन अध्ययन, चिंतन और जीवानानुभवों से अर्जित अमूल्य ज्ञान को, केवल अपने पास न रख कर पुरे मानवीय कल्याण के उद्देश्य से अभिव्यक्त किया।
1. मूर्खों से तारीफ सुनने से अच्छा तो ये है कि आप बुद्धिमान व्यक्ति से डांट सुन लें।
2. केवल मात्र साहस के भरोसे कभी भी किसी भी कार्य को पूरा नहीं किया जा सकता।
3. जो व्यक्ति अपने कार्यों की शीघ्र सिद्धि चाहता है, वह कभी भी नक्षत्रों की प्रतीक्षा नहीं करता।
4. कोई भी व्यक्ति उस समय असफल हो जाता है, जब वह ये सोच लेता है कि अब वो जीत नहीं सकता।
5. हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ जरूर होता है, यह जीवन का एक कडवा सच है।
6. स्वयं को अपनी कमजोरी कभी भी उजागर नहीं करनी चाहिए।
7. किसी व्यक्ति को कामयाब होना है, तो उसे अच्छे मित्रों की जरूरत होती है, और ज्यादा कामयाब होना है तो उसे अच्छे शत्रुओं की जरूरत होती है।
8. चन्द्रगुप्त ने कहा:- जब किस्मत को पहले ही लिखा जा चुका है तो कोशिश करने पर क्या मिल जायेगा।
चाणक्य ने कहा:- क्या पता किस्मत में यही लिखा हो कि जब कोशिश करेंगे तभी मिलेगा।
9. सभी मित्रों में शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है, क्योंकि शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य शक्ति दोनों ही कमजोर हो जाते हैं।
10. दंड का भय न होने के कारण ही लोग अनुचित कार्य करने लगते हैं।
11. मनुष्य स्वयं अपने ही कर्मो के कारण, जीवन में दु:खों को बुलावा देता है।
12. स्वयं को अपनी कमजोरी कभी भी उजागर नहीं करनी चाहिए।
13. मनुष्य को शिक्षा देने वाले दो श्रेष्ठ गुण् कष्ट और विपत्ति ही हैं।
जो व्यक्ति साहस के साथ इन दानों का सामना कर लेते हैं, वे व्यक्ति ही विजयी होते हैं।
14. कमजोर व्यक्ति से दुश्मनी करना ज्यादा खतरनाक हो सकता है, क्योंकि वह उस समय हमला करता है जिसकी आप कल्पना ही नहीं कर सकते।
15. राजा, वेश्या, यमराज, अग्नि, छोटा बच्चा, चोर, भिखारी और कर (Tax) वसूल करने वाला अधिकारी, ये आठों कभी भी दूसरो का दुख नहीं समझते।
16. यदि आप किसी अन्य व्यक्ति के लिए किसी को छोड देते हैं, तो इस बात पर हैरान मत होना, अगर वही व्यक्ति, आपको किसी और के लिए छोड दे।
17. जिसके डाटने से सामने वाले के मन में डर नहीं पैदा होता, और प्रसन्न होने के बाद जो सामने वाले को कुछ देता नहीं है, वो ना किसी की रक्षा कर सकता है, ना किसी को नियंत्रित कर सकता है, ऐसा आदमी भला क्या कर सकता है |
18. ‘असंभव’ शब्द का प्रयोग केवल कायर लोग ही करते हैं, क्योंकि बहादुर और बुद्धिमान व्यक्ति अपना मार्ग स्वयं ही प्रशस्त कर लेते हैं।
19. सज्जन व्यक्तियों पर तिल के बराबर उपकार कर दिया जाए, तो वे उसे पर्वत के समान बडा मानकर चलते हैं।
20. जब तक आप स्वयं दौडने का साहस नहीं जुटा पाओगे, तब तक आपके लिए प्रतिस्पर्धा में जीतना सदा असंभव ही बना रहेगा।
21. मनुष्य अच्छे कर्मो को करने से महान होता है न कि अच्छे कुल में जन्म लेने से।
22. अपने दुश्मनों को माफ कर देना चाहिए, लेकिन उनका नाम कभी नहीं भूलना चाहिए।
23. फूल की सुगंध को मिट्टी तो ग्रहण कर लेती है, लेकिन मिट्टी की गंध को फूल ग्रहण नहीं करता।
24. संतुलित दिमाग के समान कोई सादगी नहीं है, संतोष के समान कोई सुख नहीं है,
25. लोभ के समान कोई बीमारी नहीं है, और दया के समान कोई पुण्य नहीं है।
26. जो जिसके मन में रहता है, वह उससे दूर रह कर भी दूर नहीं रहता है।, लेकिन जो जिसके मन में ही नहीं रहता है, वह उसके समीप रह कर भी दूर ही रहता है।
27. जैसे ही आपको लगे कि भय आपके करीब आ रहा है, वैसे ही उस पर आक्रमण करके उसे नष्ट कर देना चाहिए।
28. यदि आप सही हैं, तो आपको गुस्सा होने की जरूरत ही नहीं है, और यदि आप गलत हैं तो आपको गुस्सा होने का कोई हक ही नहीं है।