श्री गुरु नानक देव जी के 10 श्रेष्ठ प्रेरणादायक व अनमोल विचार
श्री गुरु नानक देव जी सिक्खों के पहले गुरु हुए हैं। गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 ईस्वी में हुआ था। नानक ने धार्मिक एकता के उपदेशों और शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार कर दुनिया को जीवन का नया मार्ग बताया। आइये आज हम श्री गुरु नानक देव जी के 10 सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार जानते हैं।
अहंकार मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देता अतः अहंकार कभी नहीं करना चाहिए। विनम्र हो सेवाभाव से जीवन गुजारना चाहिए।
:-श्री गुरु नानक देव जी
ईश्वर का नाम तो सभी लेते हैं परन्तु कोई भी उसके रहस्य का थाह नहीं पा सकता है। यदि कोई गुरु की कृपा से अपने भीतर ईश्वर का नाम बिठा ले तो ही उसे फल प्राप्ति हो सकती है।
:-श्री गुरु नानक देव जी
गुरु एक ऐसी नदी के समान है,जिसका जल सर्वदा निर्मल और स्वच्छ रहता है। उससे मिलने पर तुम्हारे ह्रदय का मैल धुल जाता है।
:-श्री गुरु नानक देव जी
जब हाथ, पैर और शरीर गन्दा हो जाता है तो जल उसे धोकर साफ़ कर देता है। जब कपड़े गंदे हो जाते हैं तो साबुन उसे साफ़ कर देता है। जब मन पाप और लज्जा से अपवित्र हो जाता है, तब ईश्वर नाम के प्रेम से वह स्वच्छ हो जाता है।
:-श्री गुरु नानक देव जी
जो असत्य बोलता है,वह गन्दगी खाता है,जो स्वयं भ्रम में पड़ा हुआ है,वह दूसरों को सत्य बोलने का उपदेश कैसे दे सकता है।
:-श्री गुरु नानक देव जी
किसी ने पूछा, “तेरा घरवार कितना है”,किसी ने पूछा, “तेरा कारोवार कितना है”,
किसी ने पूछा, “तेरा परिवार कितना है”,कोई विरला ही पूछता हैं कि”तेरा गुरु नाल प्यार कितना है”।
:-श्री गुरु नानक देव जी
प्रभु के लिए खुशियों के गीत गाओ,प्रभु के नाम की सेवा करो,और उसके सेवकों के सेवक बन जाओ।
:-श्री गुरु नानक देव जी
दुनिया को जीतने के लिए सबसे पहले अपने मन के अंदर के विकारों को खत्म करना जरूरी होता है।
:-श्री गुरु नानक देव जी
“रैन गवाई सोई के, दिवसु गवाईयाँ खाय, हीरे जैसा जनमु है, कउडी बदले जाय।”
अर्थात मनुष्य अपना जीवन सोने और खाने जैसे कार्यों में गवा देता है और उसका मनुष्य जीवन बर्बाद हो जाता है।
:-श्री गुरु नानक देव जी
कर्म भूमि पर फल के लिए मेहनत सबको करनी पड़ती है,ईश्वर सिर्फ लकीरे बनाता है, रंग हमको ही भरना होता है।
:-श्री गुरु नानक देव जी