100+ रामायण अनमोल विचार – Ramayan Anmol Vichar

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में भगवान श्री राम का जीवन परिचय मिलता है इसमें दिए अनमोल विचार जिन्हें जीवन की सीख के रूप में भी देखा जा सकता है।

दोस्तों की परीक्षा संकट में होती है और जीवनसाथी की परीक्षा जब हमारा सभी धन नष्ट होता है तब होती है।


हर मनुष्य में दया और प्रेम होना चाहिए, हर किसी के मन में अपने से छोटे के प्रति दया और अपने से बड़ों के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए।


सभी का चेहरा उनकी अंदरूनी विचारधाराओं व भावनाओं का दर्पण होता हैं। इन विचारधाराओं व भावनाओं को छुपाना लगभग असम्भव होता हैं और देखने वाला उन्हें भाँप सकता हैं।


संसार में ऐसे लोग थोड़े ही होते हैं, जो कठोर किंतु हित की बात कहने वाले होते है।


किसी भी काम को अपने सौ प्रतिशत सामर्थ्य के साथ करो क्योंकि हम जो आज करते हैं उसी का फल हमें बाद में मिलता है।


जब भी कोई भय आपके नजदीक आए तब आपको उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर देना चाहिए।


अत्यधिक लंबे समय की दूरी या ओझलपन से प्रेम व स्नेह में कमी आ जाती है।

Shri Ramchritmanas Caupai
Shri Ramchritmanas Caupai

उत्साह में अपार शक्ति होती हैं। उत्साहित व्यक्ति के लिए कुछ भी असम्भव नहीं होता।


संत दूसरों को दुःख से बचाने के लिए कष्ट सहते हैं। दुष्ट लोग दूसरों को दुःख में डालने के लिए है।


आपसी फूट मनुष्य को नष्ट कर देती है।


इस दुनिया में दुर्लभ कुछ भी नहीं है, अगर उत्साह का साथ न छोड़ा जाए।


किसी भी व्यक्ति को जरुरत से ज्यादा प्रमाणिक नहीं होना चाहिए क्योंकि जो प्रमाणिक व्यक्ति होता है वही जीवन में ज्यादा कष्ट उठाता है।


मानव गलती कर सकता हैं। ऐसा कोई भी प्राणी नहीं जिसने कभी कोई गलती न की हो।


जो क्रोधित है वह इसमें अंतर नहीं कर सकता कि क्या बोला जा सकता है और क्या बोलने के अयोग्य है। ऐसा कोई अपराध नहीं है जो क्रोधित व्यक्ति नहीं कर सकता। ऐसा कुछ भी नहीं है जो वो नहीं बोल सकता।


पतिव्रता स्त्री के आँसू धरती पर बेकार नहीं गिरते, वे उनका विनाश करते हैं जिनके कारणवश वे आँखों से बहार निकलें।


जो आपका कुमित्र है उन पर कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए, और जो मित्र है उन पर भी अँधा विश्वास नहीं करना चाहिए।


लक्ष्य प्राप्त करने के बाद आपको क्या मिलता है यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना लक्ष्य की प्राप्ति के बाद आप क्या बनते हो वह महत्वपूर्ण है।


अतिसंघर्ष से चंदन में भी आग प्रकट हो जाती है, उसी प्रकार बहुत अवज्ञा किए जाने पर ज्ञानी के हृदय में भी क्रोध उपज जाता है।


जिनके पास धर्म का ज्ञान हैं, वे सभी कहते हैं कि सत्य ही परम धर्म हैं।


इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने धीरे चलते हो जब तक कि आप रुक नहीं जाते।


जो व्यक्ति किसी से भेदभाव नहीं करता और सबके साथ अच्छा व्यवहार करता है वह आदमी जीवन में खूब प्रगति करता है, ऐसे आदमी की हर इच्छा पूरी होती है।


हमेशा प्रसन्न रहना कुछ ऐसा है जिसे प्राप्त करना कठिन है। कहने का अर्थ है, प्रसन्नता और दुःख किसी के जीवन में आते-जाते रहते हैं और ऐसा नही हो सकता ही कि लगातार सिर्फ प्रसन्नता ही बनी रहे।


मैं रिश्तेदारों के आचरण से भली-भाँति परिचित हूँ। वे अपने रिश्तेदारों की मुसीबत में आनंदित होते हैं।


जो व्यक्ति हमेशा रोना रोते हैं, उन्हें जीवन में कभी सुख नहीं मिलता।

Ramcharitmansa Anmol Vichar
Ramcharitmansa Anmol Vichar

सहयोग और समन्वय की सदैव जीत होती है।


किसी भी व्यक्ति की वास्तविक स्थिति का ज्ञान उसके आचरण से होता हैं।


ऐसे व्यक्ति विरले हैं, जो विपत्ति का सामना करते समय हताश नहीं होते या भ्रम से आछन्न नहीं होते।


बोलने से पहले शब्द मनुष्य के वश में होते हैं, परन्तु बोलने के बाद मनुष्य शब्दों के वश में हो जाता है।


यदि जीवित रहेंगे तो सुख और आनंद की प्राप्ति कभी न कभी अवश्य होगी।


धन, सुख, सम्पति व समृद्धि सभी धर्म के मार्ग में ही प्राप्त होते हैं।


सर्वनाश के प्रमुख 3 कारण इस प्रकार हैं : दूसरों के धन की चोरी, दूसरे की पत्नी पर बुरी नजर और अपने ही मित्रों के चरित्र व अखंडता पर शक।


दुष्टों व राक्षसों से समझौते की बात या नम्र शब्दों से कोई लाभ नहीं हो सकता। इसी प्रकार किसी धनवान व्यक्ति को कोई छोटा-मोटा उपहार देकर उसे शांत नहीं किया जा सकता।


अभिमानी व्यक्ति, चाहे वह आपका गुरु, पिता व उम्र अथवा ज्ञान में बड़ा भी हो, उसे सही दिशा दिखाना अति आवश्यक होता हैं।


दुःख हो या सुख, मित्र ही मित्र के काम आता है।


संतोष नंदन वन है तथा शांति कामधेनु है। इस पर विचार करो और शांति के लिए श्रम करो।


असत्य के समान पातक पुंज नहीं है। समस्त सत्य कर्मों का आधार सत्य ही है।


जो पाप तुम कर रहे हो, उसका बंटवारा नहीं होगा।


पिता, गुरु व ज्येष्ठ भ्राता, जो धर्म पालन का ज्ञान देते हैं, वे सभी पिता सामान होते हैं।


बच्चों के लिए उस कर्ज को चुकाना मुश्किल है जो उनके माता-पिता ने उन्हें बड़ा करने के लिए किया है।


किसी भी नेक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक हैं : उदास व दुखी न होना , अपने कर्तव्य पालन की क्षमता, अथवा कठिनाइयों का बल पूर्वक सामना करने की क्षमता।


चाहे चंद्रमा की सुंदरता चली जाए, हिमालय हिम रहित हो जाये, और सागर जल रहित हो जाए, तो भी मैं अपने पिता को दिया हुआ वचन नहीं तोडूंगा।


प्रियजनों से भी मोहवश अत्यधिक प्रेम करने से यश चला जाता है।


जो अपनों को त्याग कर दुश्मनों के शिविर में चला जाता हैं, उसी के पुराने शिविर के अपने ही साथी दुश्मन को मारने के पश्चात उसे भी मार डालते हैं।


जो कार्य करने का निश्चय किया हो उसको निजी रखे, वह शुरू हो और खत्म न हो तब तक उसके बारे में किसी को न बताएं ।


अगर किसी व्यक्ति से भूतकाल में कोई भूल हो तो उसे अपने वर्तमान को सुधारकर अपने भविष्य को अच्छा बनाना चाहिए।


जहाँ हो वहीं से शुरुआत करो, जो तुम्हारे पास है उसी का उपयोग करो और जो तुम कर सकते हो वही करो।


कभी भी अपने रहस्यों को किसी और को न बताएं, आपकी यह आदत आपको बर्बाद कर सकती है।


माता-पिता की सेवा और उनकी आज्ञा का पालन जैसा दूसरा धर्म कोई भी नहीं है।


ऐसा विचार करके दुखी न हों कि विधाता का लिखा हुआ नहीं मिट सकता।


अपने घर को छोड़ कर और किसी के घर में रहना किसी भी पीड़ा से ज्यादा कष्टदायी है।


नीच की नम्रता अत्यंत दुखदायी है, अंकुश, धनुष, सांप और बिल्ली झुककर वार करते हैं।


केवल डरपोक और कमजोर ही चीजों को भाग्य पर छोड़ते हैं लेकिन जो मजबूत और खुद पर भरोसा करने वाले होते हैं वे कभी भी नियति या भाग्य पर निर्भर नही करते।


विद्वानों व बुद्धिमानों से परामर्श ही विजय का आधार होता हैं।


एक रचनात्मक व्यक्ति सफलता की व्याप्ति से प्रेरित होता है न कि किसी दुसरे की हार से।


जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढकर है।


महत्वाकांक्षा से युक्त मन सदैव रिक्त रहता है।


अच्छे लोगों की संगति में बुरे से बुरा मनुष्य भी सही आचरण करने लगता है।


जो यौवन विनय से विभूषित तथा कृपालुता जैसे गुणों से प्रोज्जवल है, वही यौवन सुंदर है।


दुख और विपदा जीवन के दो ऐसे मेहमान हैं, जो बिना निमंत्रण के ही आते हैं।


क्या तुम जानना चाहते हो कि तुम क्या हो? तो किसी से पुछो मत बस कर्म करो तुम्हारा कर्म ही तुम्हें चित्रित एवं परिभाषित करेगा।


परिस्थितियाँ हमारे लिए समस्या नहीं बनती हैं समस्या तो तब बनती है जब हमें परिस्थितियों से निपटना नहीं आता।


अगर कोई व्यक्ति कमजोर है तो उसे हमेशा, वह ताकतवर है ऐसा ही प्रदर्शित करना चाहिए।


उत्साह हीन, निर्बल व दुःख में डूबा हुआ व्यक्ति कोई अच्छा कार्य नहीं कर सकता। अतः वह धीरे-धीरे दुःख की गहराइयों में डूब जाता हैं।


धर्म सत्य में ही समाया हुआ हैं और ये संसार सत्य द्वारा ही चल रहा है।


सत्यवादी व्यक्ति कभी झूठे वचन नहीं देते। दिए हुए वचन का पालन करना ही उनकी महानता का चिंह होता है।


मित्रता या शत्रुता बराबर वालों से करनी चाहिए।


बोले गए शब्द ही ऐसी चीज हैं, जिसकी वजह से इंसान, या तो दिल में उतर जाता है या फिर दिल से उतर जाता है।


उदास न होना, कुंठित न होना अथवा मन को टूटने न देना ही सुख और समृद्धि का आधार है।


वीर व बलवान पुरुष क्रोधित नहीं होते।


अपनी बातों को हमेशा ध्यानपूर्वक कहें, क्योंकि हम तो कहकर भूल जाते हैं, लेकिन लोग उसे याद रखते हैं।


जो व्यक्ति जो कार्य निश्चित है उसे छोड़कर, जो कार्य अनिश्चित है उसके पीछे भागे तो वह व्यक्ति उसके हाथ में आया कार्य भी खो देता है।


अपने जीवन का अंत कर देने में कोई अच्छाई नहीं होती, सुख और आनंद का रास्ता जीवन से ही निकलता है।


धर्म किसी देश के सभी लोगों को एक जुट रखने में समर्थ होता हैं।


ऐसा कोई व्यक्ति अब तक नहीं जमा, जो वृद्धावस्था को जीत सका हो।


जो किसी से धन व सामग्री की सहायता लेने के पश्चात अपने दिए हुए वचन का पालन नहीं करता, तो वह संसार में सबसे अधिक बुरा माना जाता हैं।


अपनी आँखों को हमेशा आसमान की तरफ रखो और अपने पैरो को हमेशा जमीन पर।


माया के दो भेद हैं- अविद्या और विद्या।


हर किसी मित्रता के पीछे कोई-न-कोई स्वार्थ छिपा होता है, यह एक बहुत बड़ा सत्य है और यह सत्य हकीकत भी है।


जो आपके सामने आपके कार्यों की प्रशंसा करे और आपकी पीठ के पीछे आपका काम बिगाड़ दे ऐसे लोग सांप के समान है, उनसे दूर रहने में ही भलाई है।


चरित्रहीन व्यक्ति की मित्रता उस पानी की बूंद की भांति होती है जो कमल फूल की पत्ती पर होते हुए भी उस पे चिपक नहीं सकता।


समस्या अंत की तरफ इशारा नहीं करती बल्कि रास्ता दिखाती है।


नए सपने देखने अथवा नए लक्ष्य बनाने की कोई उम्र नहीं होती।


क्रोध हमारा शत्रु है, और हमारे जीवन का अंत करने में समर्थ है, क्रोध हमारा ऐसा शत्रु है जिसका चेहरा हमारे मित्र जैसा लगता हैं। क्रोध एक तलवार की तेज धार की भांति है। क्रोध हमारा सबकुछ नष्ट कर सकता है।


दया, सदभावना व मानवीयता महापुण्यकारी गुण हैं।

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